कोविड मैनेजमेंट पर एम्स का प्रोटोकॉल क्या कहता है?
सेहतराग टीम
माइल्ड (हल्का) डिजीज
लक्षण– गला खराब, खांसी, सांस की कमी के बिना बुखार
अस्पताल जाने की जरूरत– नहीं
ऐसे मरीजों को होम आइसोलेशन की सलाह दी जाती है। मरीज अपना इलाज करने वाले फिजिशियन के संपर्क में रहे और सांस लेने में परेशानी, बहुत ज्यादा बुखार, भयंकर खांसी और ऑक्सीजन का लेवल कम होने पर तुरंत मेडिकल सलाह लें।
उपचार: बुजुर्गों और कोमॉरबिडिटीज वाले मरीजों को आइवरमेक्टिन दी जा सकती है। हल्के लक्षणों वाले मरीजों को स्टेरॉयड नहीं दी जानी चाहिए।
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मॉडरेट (मध्यम) डिलीज
लक्षण– रेस्पेरेटरी रेट – 24 प्रति मिनट से ज्यादा, ऑक्सीजन सेचुरेशन – रूम एयर में 94 प्रतिशत से कम
अस्पताल जाने की जरूरत– हां
उपचार: ऑक्सीजन सपोर्ट, एंटी वायरल थैरपी, प्लाज्मा थैरेपी, एंटी इंफ्लामेटरी और इम्युनोमॉडुलेटरी थैरेपी। कुछ मरीजों को खून के थक्के बनने से रोकने के लिए दवाइयों की जरूरत पड़ सकती है।
सीवियर (गंभीर) डिजीज
लक्षण- रेस्पेरेटरी रेट – 30 प्रति मिनट से ज्यादा, ऑक्सीजन सेचुरेशन – रूम एयर में 90 प्रतिशत से कम
अस्पताल जाने की जरूरत– हां
उपचार: हाई-फ्लो नेज़ल कैनुला का इस्तेमाल करते हुए रेस्पेरेटरी सपोर्ट, जैसी जरूरत हो नॉन इन्वेसिव वेंटिलेटर या पारंपरिक वेंटिलेटर सपोर्ट, 10-14 दिन से कम दिन तक रोग रहने पर एंटी वायरल देने पर विचार किया जा सकता है। उसके अलावा, एंटी इंफ्लामेटरी और इम्युनोमॉडुलेटरी थैरेपी दी जा सकती है। प्लाज्मा थैरेपी नहीं दी जानी चाहिए।
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